Rajasthan: राजस्थान विधानसभा चुनाव में मात्र 4 दिन बचे है। ऐसे में सभी पार्टी ऐप तैयारी बहुत जोरो शोरो से कर रहे हैं। हर पार्टी अपना अपना दांव पेंच लगा रही है। फिलहाल जाट समाज को लेकर राजस्थान में अलग माहौल है। हर पार्टी को जाट समाज से ज्यादा
उम्मीदें हैं तभी तो कांग्रेस ने अपने पार्टी के 36 जाट को टिकट दिया तो वही बीजेपी ने भी 31 जाट को टिकट दिया। 200 विधान सभा सीटों में जाट समाज के प्रत्यासी को भारी मात्रा टिकट देना साफ बता रहा है की इन समुदाय से पार्टी को बहुत भरोसा है।
जाट समाज से आखिर क्यों है इतनी उम्मीद: न केवल कांग्रेस और भाजपा अपितु आरएलपी भी जाट को भारी संख्या में टिकट दिया है। राजस्थान में जाटों की संख्या अधिक है इसलिए हर पार्टी को इनसे उमीदे भी अच्छी खासी है। इतना ही नही कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक चुनाव जीतने के बाद जातिगत गड़ना का वादा करता है।
इसका साफ असर कांग्रेस के घोषणा पत्र में देखा जा सकता है। इतना ही नही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जाटलैंड से जात के आरक्षण को लेकर बात कह चुके है।
किन जाट प्रत्यासी है उम्मीद: नरेंद्र मोदी भरतपुर और नागौर ने जनसभा करते हुए जाटों को लेकर कांग्रेस पर जमकर हमला किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को 50 आप बाद ओबीसी की याद आई जबकि भाजपा ने जाट को ओबीसी के दायरे में लाकर आरक्षण दिलाया।
यदि हम प्रमुख जात प्रत्यासी की बात करे तो भाजपा में शामिल होने वाली ज्योति मिर्धा, कांग्रेस के तरफ से दिव्य मदेरणा और आरपीपी के हनुमान बेनीवाल मुख्य प्रत्यासी। इन तीनों के कंधे से पार्टी ने जाट समाज के लिए बड़ा दांव खेला है। यह देखना दिलचस्प होगा की बहुमत कौन बटोरता है।
राजस्थान में जातियों के नाम पर भी हो रहा है सियासी घमासान: पता नही जब जब चुनाव होता है तब तब नेताओ को हर समुदाय के उधर का खयाल कहा से आता है। मेरा मानना है की यदि आप राज्य का उद्धार करे तो राज्य में हर व्यक्ति हर जात का उद्धार हो जायेगा। खैर यह तो बस राजनीति है। फिलहाल राजस्थान की राजनीति में जाट समाज को लेकर काफी रणनीति हो रही है।