Rajasthan, hawa mahal: राजस्थान में विधान सभा हो गए है। चुनाव एक ही चरण में कराया गया है और अब मतदान की गिनती 3 दिसंबर से शुरू होगा। इस बार मतदान में राजस्थान की जनता ने काफी उत्साह दिखाया है इसलिए वर्ष 2018 से अधिक मतदान हुआ है।
हालाकि मतदान के दिन कुछ क्षेत्रों में विवाद के भी मामले सामने आए थे लेकिन इससे मतदान में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं हुई। आइए जानते है राजस्थान के हवामहल सीट के बीच किसके किसके बीच टक्कर है तथा यहां की प्रत्यासियों की क्या रणनीति रही है।
क्या भाजपा हवामहल सीट पर ले पाएगी अपना पुराना हिसाब: अगर हम वर्ष 2018 चुनाव की बात करे तो हवामहल के सीट से कांग्रेस प्रत्याशी महेश जोशी ने जीत हासिल की थी। इस बार अपने पुराने हार का बदला लेने के लिए भाजपा ने बालमुकुंद आचार्य को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
वही कांग्रेस ने जोशी को छोड़ आर आर तिवारी को मौका दिया है। यदि हम पिछले चुनाव के हिसाब से गड़ना करे तो भाजपा प्रत्यासी सुरेंद्र पारीक को 76 हजार के करीब वोट मिले थे और वही कांग्रेस प्रत्यासी महेश जोशी को 85 हजार से अधिक वोट मिले थे।
हवामहल सीट हेतु भाजपा ने क्या दांव खेला है: राजस्थान चुनाव विकास के नाम पर कम तथा जाति धर्म के नाम से ज्यादा चर्चा का विषय रहा। भाजपा ने बालमुकुंद आचार्य को मौका दिया इसके पीछे की वजह हवामहल में जनरल सीट का होना।
इससे साफ जाहिर है कि भाजपा ने दांव बहुत सोच समझ कर उम्मीदवारों की घोषणा की है। पर भाजपा का यह दांव पेंच चुनाव जीतने में मदद करेगा यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा।
कांग्रेस भी कम नहीं है भाजपा से: हवामहल सीट को लेकर भाजपा ने ही नही बल्कि कांग्रेस ने भी काफी तिकड़म लगाया है। महेश जोशी को टिकट न देकर आरआर तिवारी को मौका देने का यही वजह है। लेकिन यदि हम हवामहल सीट की तो वहा की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा करके उसे बहुमत हासिल करने में मदद किया है।