टोंक, राजस्थान: राजस्थान में विधान सभा चुनाव 25 नवंबर को हो गया है। चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आने की संभावना है। ऐसे में सभी पार्टी परिणाम को लेकर काफी चिंतित एवं उत्साहित दोनो है। फिलहाल अभी परिणाम घोषित होने में समय है किंतु कुछ पार्टियों ने तो जीत की घोषणा कर दी है।
राजस्थान चुनाव में कई सारे मामले को लेकर पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे पर जमकर हमला किया था फिर वो लाल डायरी का मुद्दा हो या पेपर लीक का मामला। लेकिन अगर भाजपा ने किसी मुद्दे को जमकर चुनाव मैदान में उठाया है तो अशोक गहलोत और सचिन पायलट के रिश्ते को।
क्या सचिन पायलट अशोक गहलोत से बेवफाई के बाद टोंक में जीत का बिगुल बजा पाएंगे: वर्ष 2018 में टोंक विधान सभा सीट पर कांग्रेस प्रत्यासी को जीत हासिल हुई थी। इस जीत की वजह से कांग्रेस की सरकार जब गठन हुआ तो सचिन पायलट को उपमुखमंत्री के पद के लिए निर्वाचित किया गया था। किंतु वर्ष 2020 में पायलट अशोक गहलोत तथा कांग्रेस पार्टी से खफा हो गए और मुख्यमंत्री पद की मांग करने लगे।
हालाकि बाद में सचिन पायलट वापस पार्टी में आए और फिर से ही अशोक गहलोत बतौर मुख्यमंत्री चुना गया। लेकिन इसके बाद गहलोत और पायलट के रिश्ते को लेकर काफी चर्चा होती रही। लेकिन अब सवाल यह उठता है की क्या पायलट टोंक में फिर से जनता का भरोसा जीतने में समर्थ हो पाएंगे।
भाजपा उम्मीदवार अजीत सिंह मेहता दे रहे है पायलट को टक्कर: यदि कांग्रेस समर्थन युवाओं की बात करे तो सचिन पायलट को बतौर मुख्यमंत्री समर्थन करते है। किंतु अजीत सिंह मेहता कहते है की पायलट वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री के चेहरे के दावे की वजह से जीते थे किंतु इस बार ऐसा नहीं होगा। अजीत सिंह को यकीन है की इस बार जीत निश्चित ही उनकी ही होगी क्योंकि वो टोंक की जनता को बहुत अच्छे से जानते है जबकि पायलट टोंक के निवासी नही है। अब देखते है की अजीत सिंह का भरोसा जीतता है या सचिन पायलट का अनुभव।