राजस्थान चुनाव में पति पत्नी का अनोखा टकराव, किसका पलड़ा है भारी?

राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू होने के साथ ही दांतारामगढ़ विधानसभा सीट पर एक दिलचस्प राजनीतिक मुकाबला देखने को मिल रहा है। घटनाओं के एक आश्चर्यजनक मोड़ में हम एक पति-पत्नी की जोड़ी को इस सीट के लिए लड़ते हुए देख सकते हैं लेकिन इससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि वे अलग-अलग राजनीतिक दलों से हैं।

राजस्थान राज्य 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तैयारी कर रहा है जिसके नतीजे 3 दिसंबर को सामने आएंगे। इस राजनीतिक हलचल के बीच दांता रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र एक मजबूत पारिवारिक टकराव के कारण महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित कर रहा है।

इस अनोखे प्रदर्शन के केंद्र में रीता चौधरी हैं जो अब इस चुनावी लड़ाई में जननायक जनता पार्टी (JJP) का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। रीता के पति वीरेंद्र सिंह वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के लिए विधानसभा सदस्य (MLA) के पद पर हैं।

चौधरी परिवार का कांग्रेस पार्टी से पुराना नाता है। वीरेंद्र सिंह के पिता नारायण सिंह सात बार प्रभावशाली ढंग से कांग्रेस विधायक चुने गए हैं और उन्होंने पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) प्रमुख के रूप में भी काम किया है। हालांकि इस साल की शुरुआत में रीता के जेजेपी में शामिल होने के फैसले से अब इस राजनीतिक विरासत को चुनौती मिल रही है। वास्तव में पार्टी में उनका प्रवेश इतने उत्साह के साथ हुआ कि उन्हें तुरंत महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया जो इस क्षेत्र में उनके बढ़ते प्रभाव को उजागर करता है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव में BJP उम्मीदवारों की लिस्ट जारी

रीता के राजनीतिक सफर में 2018 के विधानसभा चुनाव में दिलचस्प मोड़ आया जब उन्होंने दांतारामगढ़ सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने उनके स्थान पर उनके पति को उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया। निडर होकर रीता ने क्षेत्र में अपना समर्थन आधार बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया और जेजेपी में चली गई।

हाल ही में जेजेपी ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसमें रीता चौधरी को दांतारामगढ़ सीट के लिए अपना प्रतिनिधि नामित किया गया। प्रेस से बात करते हुए उन्होंने क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया और स्थानीय जनता से उन्हें मिले जबरदस्त समर्थन के बारे में बताया।

जहां तक चुनाव में अपने पति का सामना करने की संभावना का सवाल है, रीता चौधरी ने समझदारी दिखाते हुए इस मामले पर टिप्पणी करने से परहेज किया। इस समय कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक तौर पर वीरेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है जिससे राजनीतिक परिदृश्य सस्पेंस में है।

राजस्थान इलेक्शन में कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी

चुनाव में रीता चौधरी का फोकस विकास, पानी की समस्या और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर केंद्रित है। उनका अभियान लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप क्षेत्र के लिए परिवर्तन और प्रगति के वादे पर आधारित है।

पति बनाम पत्नी के इस चुनावी मुकाबले में राजस्थान में एक ऐसा राजनीतिक नजारा देखने को मिल रहा है जो जितना दिलचस्प है उतना ही अभूतपूर्व भी। इस अनूठी लड़ाई का परिणाम न केवल दांता रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र के भाग्य का निर्धारण करेगा बल्कि राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य में उभरती गतिशीलता का भी प्रतीक होगा।

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